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Tuesday, August 30, 2011


 
 
बाडमेर आजकल सालियां अपने जीजा से पान की मांग नही करती। पान बीते समय की बात हो गई । चॉकलेट,आईसक्रीम, फास्ट फूड की मांग करती हैं। ससुराल जाते समय जीजा द्वारा सालियों के लिऐ पान ले जाना परम्परा का प्रतीक था। मगर समय के साथ पान के कद्रदानों की संख्या बहुत कम रह गई हैं। कभी हर मुॅह में पान की लाली का पंग चढा नजर आता था। पान की इस लाली को गंटखा लील गया कहना अतिश्योक्ति  नही होगा। गुटखे के बढते प्रचलन नें पान की शान को मंद कर दिया।
           मारवाद के मीठे पान कभी शान और शौकत के प्रतीक रहे हैं। बाडमेर के लोग कभी पान के जबरदस्त शौकिन रहे हैं, मगर अन शैकिनों पर भी गंअखे का असर चढ गया। जिसके कारण ना केवल पान की शान में कमी आई हैं बल्कि पान का व्यासाय भी दम तोड रही हैं। पान के साथ जुडी परम्पराऐं ,संस्कृति और किदवन्तिया भी इसके साथ ही समाप्त होने के कगार पर हैं।
            बाडमेर में पिछले साठ सालों सें पान का व्यवसाय करने वाले मूलजी का परिवार आज भी पान के इस व्यापार को ढो रहा हैं।मूलजह भारत पाकिस्तान विभाजन सें पहले थार क्षैत्र के एक मात्र पान के बडे व्यवसायी थे और आज भी मूलजी का पोता भरत अपने पुश्तेनी व्यवसाय को सम्भालें हैं। मूलजी के पोते भरत कुमार नें बताया कि एक दशक पूर्व तक पान के प्रति लोगों की जबरदस्त दीवानगी थी। उस वक्त में प्रति दिन बीस से तीस हजार पान बाडमेर जिले में बेचते थे। उस वक्त बाडमेर में पान की स्तर से अधिक छोटी बडी दुकानें थी। भरत ने बताया कि उस वक्त प्रात कालीन रेल से सुबह चार बजे पान आते थेंपान के व्यवसायी सीधे रेल पर ही अपना माल लेने आ जातें क्योकि उन्हे डर था कि डिमाण्ड अधिक होने के कारण शायद उन्हे पान मिले या नही मिले। उस वक्त बाडमेर के नारायणजी पान वाले, जगदीश खत्री, श्यामजी पान वाले हीराभाई पान वाले, बसन्त पान वाला, झामन पान वाला बेहतरीन पान बनाने वालों में शुमार थे। जहॉ एक हजार से अधिक पान प्रतिदिन बिकते थे। शेष दुकानों में भी 500 से 700 पान प्रतिदिन बिकते थे। बेल के इन पान को लकी मीठी तथा रैली श्रेणी में बांटा जाता था। उस वक्त लकह पान की जबरदस्त मांग थी। सुबह ग्यारह बजे से दोपहर दो बजे तक साय। सात बजे से रात 11 बजे तक पान के शौकिनों की दुकानों पर भीड लगी रहती थी। पान के इन्तजार में लोग घण्टों बतियाते रहते थे।
          ये लोग बेहतरीन पान बनाने की मिशाल थे। समय के साथ ये लोग दुनिया छोड चुके हैं। इनमे से  जगदीश ,टौर झामन आज भी अपनी साख बनाऐ हुऐं है। कहना अतिश्योक्ति ना होगा कि पान की कुछ शान इन लोगों नें बनाऐं रखी हैं। आज बाडमेर में पान की महज आठ दस दुकानें हैं। पान दुकान चलाने वालें राजू भाई का कहना है कि मेरी पुश्तेनी पान की पेढी हैं। पहले मेरे पिताजी श्यामजी पान लगाते थें। उन्हे आज भी श्यामजी पान वाला के नाम से लोग जानते हैं। पान का व्यवसाय खत्म सा हो गया हैं। पान के कद्रदान थोडे से बचे हैं। गुटखें के प्रचलन नें पान कह लाली को खत्म कर दिया।
भरत का कहना है कि वह दौर सूनहरा था। हमारा भी व्यवसाय के प्रति जबरदस्त मोह था। प्रति पान दस पैसा मजदूरी मिल जाती थी। 1996 सें पान का संक्रमण काल शुरू हुआ था जब पहली बार गुटखा बाजार में आया। तेजह से बढते गुटखे के प्रचलन नें पान व्यवसाय को चौपट कर दिया। आज पान की बिक्री चालीस हजार प्रतिदिन से घटकर महज दस हजार सें भी कम रह गयी हैं। वही गुटखे के दस लाख पाउच प्रतिदिन बिक रहे हैं।
           कभी पान लबों की शान हुआ करता था। चूना, कत्था, सुपारी, लौंग, इलायची, किमाम, बेलगम, सौंफ ,गुलकन्द कें मिश्रण का पान खाते ही पान के शोकिनों को नई उमंग ओर तरोताजगी का सुखद अहसास हो जाता था। इसके साथ ही जर्दायुक्त पान का प्रचलन बराबर था। इसके अलावा बनारसी पान ,कलकती पान, सिन्धी पान, मीठा पान तथा रैली पान का भी बराबर मांग थी। मगर जबसें गुटखे का प्रचलन शुरू हुआ हैं तब से पान आम आदमी से दूर हो गया। आज पान की बजाय गुटखें कें सैकडों ब्राण्ड प्रचलन में हैं। बहाहाल कभी सामाजिक सरोकारों तथा परम्पराओं का प्रतीक रहा पान की लाली होंठों सें दूर हो गई हैं। 

Tuesday, June 28, 2011


रोजाना एक करोड़ का नुकसान 
दूरदिशर्ता का अभाव, सरकार को अब तक करीब 300 करोड़ का राजस्व नुकसान
मुकेश मथराणी बाड़मेर।
राजस्थान में देश के सबसे बड़े तेल क्षेत्र को ऑपरेट कर रही निजी कंपनी केयर्न इंडिया के लिए वेदांता रिसोर्सेज की 9.6 अरब डॉलर की बोली का जो भी अंजाम हो, लेकिन इस तेल क्षेत्र से जुड़े रॉयल्टी भुगतान के विवाद के चलते राजस्थान सरकार को रोजाना एक करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
बताया जा रहा है कि रॉयल्टी विवाद के चलते पिछले करीब दस माह से पूरी तैयारियों के बावजूद केयर्न इंडिया राजस्थान ब्लॉक से उत्पादन क्षमता को ब़ा नहीं पा रही है। वर्तमान में केयर्न राजस्थान ब्लॉक से प्रतिदिन सवा लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन कर रही है। कंपनी के आला अधिकारियों के मुताबिक कंपनी अगस्त 2010 से उत्पादन क्षमता ब़ाने के तैयार है, जिसे प्रतिदिन सवा लाख बैरल से ब़ाकार ड़े लाख बैरल प्रतिदिन किया जा सकता है। कंपनी के मौजुदा उत्पादन क्षमता के आधार पर राजस्थान सरकार को प्रतिदिन 5 करोड़ रूपए का राजस्व मिल रहा है और उत्पादन ब़ने की स्थिति में राजस्व में प्रतिदिन एक करोड़ रूपए की वृद्धि का अनुमान है।
अब तक 300 करोड़ का राजस्व नुकसान 
एक अनुमान के मुताबिक सरकार को इस विवाद के चलते अब तक करीब 300 करोड़ रूपए से अधिक के राजस्व का नुकसान हो चुका है। सरकार को होने वाला घाटा बदस्तुर जारी है। घाटे की शुरूआत करीब दस माह पूर्व हुई, जब इस क्षेत्र में केयर्न की साझेदार ओएनजीसी ने रॉयल्टी को साझा करने की मांग की।
क्या है कि रॉयल्टी विवाद 
ओएनजीसी की राजस्थान ब्लॉक में 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, पर उसे क्षेत्र के पूरे उत्पादन पर रॉयल्टी का भुगतान करना पड़ता है। पहले हुए करार के तहत उस पर केयर्न के हिस्से की रॉयल्टी भी चुकाने का जिम्मा है। सूत्रों का कहना है कि ओएनजीसी कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक बतौर रॉयल्टी चुकाई गई रकम इस तेल क्षेत्र से होने वाली आमदनी में से लौटाने की मांग कर रही है, लेकिन केयर्न रॉयल्टी के किसी तरह के भुगतान के मूड में नहीं है। केयर्न एनर्जी ने रॉयल्टी साझा करने का विरोध करते हुए कहा है कि तेल खोजने तक का रिस्क और खर्चा कंपनी की जिम्मेदारी थी और अब रॉयल्टी का पूरा भुगतान ओएनजीसी को ही करना होगा। जहां एक ओर ओएनजीसी ने सरकार से प्रोडक्शन शोयरिंग कान्ट्रेक्ट में बदलाव की मांग की है, तो दूसरी ओर केयर्न ने नियमों का हवाला देते हुए लिखा है कि पूर्व के समझौते को नहीं बदला जा सकता है।
उत्पादन पर असर 
कंपनी के आला अधिकारियों के मुताबिक कंपनी अगस्त 2010 से उत्पादन क्षमता ब़ाने के तैयार है, जिसे प्रतिदिन सवा लाख बैरल से ब़ाकार ड़े लाख बैरल प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन रॉयल्टी विवाद के चलते कंपनी आज भी सवा लाख बैरल प्रतिदिन के उत्पादन पर अटकी है।
अब तक 800 करोड़ का भुगतान 
जानकारी के मुताबिक ओएनजीसी दिसंबर 2010 तक करीब 820 करोड़ रूपए के राजस्व का भुगतान कर चुकी है और इस परियोजना के लिए कंपनी को लगभग 12 हजार करोड़ रुपए की रॉयल्टी का भुगतान करना होगा।
सौदे पर असर 
रॉयल्टी भुगतान को लेकर उठे विवाद के चलते केयर्नवेदाता सौदा पिछले 10 महीने से अटका हुआ है। रॉयल्टी भुगतान के ांचे में या पहले हुए करार में किसी तरह का बदलाव होने पर केयर्न एनर्जी की वैल्यूएशन में फर्क आएगा, जो कि सौदे के भविष्य पर सवाल पैदा कर सकता है? मामलें से जुड़े जानकारों का कहना है कि सौदे को इस शर्त पर सरकार की मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है कि केयर्न इस विवाद में ओएनजीसी की राय से सहमत हो जाए।

Thursday, June 23, 2011


जाली रसीदों से सहारे विदोी नागरिकों से ठगी 
बाड़मेर एफ.आर.ओ. कार्यलय के हैड कांस्टेबल की करतूत
बाड़मेर। 
बाड़मेर के विदोी पंजीयन अधिकारी (एफ.आर.ओ.) कार्यालय में कार्यरत एक हेड कांस्टेबल ने वीजा अवधि ब़ाने के नाम पर जाली रसीदों से जमकर अपनी जेब भरी और सरकारी राजस्व को भी जमकर चुना लगाया। हैड कांस्टेबल की यह करतुत पिछले सप्ताह उजागर होने के बाद सी.आई.डी.इंटेलिजेंटस के अफसर सकते में आ गए। मामला जयपुर मुख्यालय पहुंचने के बाद हैड कांस्टेबल को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है।
उक्त कांस्टेबल ने बाड़मेर आए विदोी प्रतिनिधि मण्डल से नियमों से परे जाली रसीदें थमाकर करीब 20 हजार रूपए ऐंठ लिए। जबकि विभागीय अधिकारीयों का कहना है कि विदोी पंजीयन अधिकारी (एफ.आर.ओ.) में कोई भी काम रोकड़ में नहीं होता। किसी भी प्रकार के भाुल्क के लिए डिमाण्ड ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान किया जाता है।
जानकारी के मुताबिक बाड़मेर जिला मुख्यालय पर विदोी पंजीयन अधिकारी (एफ.आर.ओ.) का जिम्मा सी.आई.डी. बॉर्डर इंटेलिजेंटस के पास है। इस भाखा का मुख्यकार्य विदोी नागरिकों के पासपोर्ट व वीजा सम्बंधि दस्तावेजों की जांच एवं इससे संबधित अन्य कार्यो का निश्पादन करना होता है।
बताया गया कि विदोी पंजीयन अधिकारी (एफ.आर.ओ.) कार्यालय में कार्यरत हैड कांस्टेबल खेताराम गत तीन चार साल से वीजा अवधि ब़ाने का कार्य प्रभार देखता था। बताया गया कि पिछले सप्ताह बाड़मेर में स्थापित निजी कंपनी के संयत्र में कार्यरत विदोी नागरिकों के एक दल ने वीजा अवधि ब़ाने के लिए विदोी पंजीयन अधिकारी (एफ.आर.ओ.) कार्यालय में आवेदन किया, लेकिन उक्त कार्यालय में कार्यरत कांस्टेबल खेताराम ने उक्त दल के सदस्यों से धोखाधड़ी करते हुए उन्हे फर्जी रसीद थमाकर 20 हजार रू. ऐंठ लिए।
मामले का खुलासा तब हुआ जब उक्त निजी कम्पनी में कार्यरत सेवानिवृत पुलिस अधिकारी ने जाली रसीद देखी तो उसे बड़ी हेरानी हुई। उक्त सेवानिवृत अधिकारी ने इस मामलें की िकायत सी.आई.डी. जयपुर मुख्यालय में की। जिसके बाद बाड़मेर से जयपुर तक हड़कम्प मच गया।
बाड़मेर कार्यालय में कार्यरत बी.आई. प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने हैड कांस्टेबल को तत्काल प्रभाव से कार्य मुक्त कर बी.आई. की चौहटन चौकी रवाना कर दिया।
इस पूरे मामले में अधिकारीयों की माने तो विभाग में किसी भी तरह की रोकड़ रूपयों का लेन देन नहीं होता है। अगर कोई भाुल्क जमा करवाना होता है तो विभाग डी.डी. के माध्यम से जमा करवाना पड़ता है।
कई सालों से मेहरबानी
यह हैड कांस्टेबल मूल रूप से बी.आई.(बार्डर इंटेलिजेंटस) की चौहटन चोकी में कार्यरत है। मगर अधिकारियों की मेहरबानी से यह 2008 से बाड़मेर के एफ.आर.ओं कार्यालय में अटेचमेंट के रूप में कार्यरत है। लंबे समय से मेहरबानी के कारण बी.आई. के उच्च अधिकारी भी संदेह के घेरे में है।

॔॔एफ.आर.ओं में कार्यरत हैड कांस्टेबल खेताराम के फर्जी रसीदों से पैसे वसूल करने का मामला सामने आया है। उसे निलम्बित कर मुख्यालय भरतपुर किया गया है। मामले की जांच करवाई जा रही है।’’
धीमाराम, कार्यवाह, प्रभारी बी.आई. बाड़मेर। 




पकड़ा गया ईनामी तस्कर 28 जून तक पुलिस रिमाण्ड पर 
बाड़मेर। 
बब्बर खालसा के लिए सीमा पार से भेजे आरडीएक्स व हथियारों के जखीरा लाने वाले कुख्यात ईनामी तस्कर कल्ला खां को बुधवार को पुलिस और एटीएस ने सयुंक्त कार्यवाही करते हुए गडरा रोड क्षेत्र. से गिरफ्तार किया। वह दो साल से फरार था तथा उस पर पुलिस ने 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर रखा था। बब्बर खालसा ने दो साल पहले पश्चिमी सीमा पर रहने वाले पुराने तस्करों को सक्रिय कर पाकिस्तान से हथियारों व विस्फोटक का जखीरा भेजा था। यह जखीरा मारुड़ी गांव के धोरों में छुपा कर रखा था। बब्बर खालसा के आतंकी यह खेप ले जाते उससे पहले पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया।

एटीएस के उपअधीक्षक राजेन्द्रसिंह ने बताया कि एटीएस और पुलिस को इस मामलें में पिछले लम्बे समय से कला खां की तलाश थी और उसे बुघवार को गिरफ्तार करने में सफलता मिली। उन्होनें बताया कि कलां खां को गिरफ्तार कर गुरूवार को न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उसे 28 जून तक के लिए रिमाण्ड पर सौपां गया है।

कलाखां के पकड़े जाने के बाद सरहद पर तस्करी की गतिविधियों और उससे जुड़े गिरोह का पर्दाफाश होने की संभावना जताई जा रही है। एटीएस टीम कलाखां से पूछताछ कर पाकिस्तान से हथियारों व विस्फोटक की तस्करी के नए राज खोलने का प्रयास करेगी। एटीएस टीम आरोपी से यह जानने में जुटी हैं कि वह पिछले दो सालो तक कहां रहा और क्या काम कर रहा था?

Monday, June 20, 2011


मुफ्त मिलेगी दवाईयां, मुफ्त मिलेगी शिक्षा 
कलेक्ट्रेट में खुलेगा लाइफ लाईन स्टोर, िक्षा के अधिकार अधिनियम से मिलेगी मुफ्त शिक्षा 
बाडमेर। सोमवार का दिन बाड़मेर जिले के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए कई नई सौगाते लाया। सोमवार को जहां एक ओर गरीबों को मुफ्त दवाईयों देने के लिए लाइफ लाइन स्टोर खोलने की घोशणा की गई, तो दूसरी ओर िक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बीपीएल परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवो दिलाया गया, जहां उन्हे मुफ्त िक्षा मिलेगी।
सोमवार को आयोजित एक बैठक के दौरान जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने जिला कलेक्ट्रेट परिसर में लाइफ लाईन स्टोर खोलने की घोशणा की। जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने बताया कि उक्त स्टोर पर अत्यन्त गरीब परिवार के लोगों को मुफ्त दवाईयों का वितरण किया जाएगा ताकि कोई भी व्यक्ति धन के अभाव में उपचार से वंचित नहीं रह पाये। कुछ ऐसी ही घोशणा नि:ाुल्क एवं अनिवार्य िक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत की गई, जिसमें गरीब परिवारों के बच्चों को नि:ाुल्क िक्षा दिलवानें की व्यवस्था की गई। जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने जिले के गरीब परिवारों के 10 बच्चों के भाहर के एक निजी विद्यालय में प्रवो दिलाया।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने कहा कि िक्षा का अधिकार अधिनियम आपके लिए एक अविस्मरणीय अवसर लेकर आया है जिसके कारण ये बालकबालिकाएं भाहर के अच्छे विद्यालय में नि:ाुल्क िक्षा प्राप्त करेंगे। इसके लिए जीवन का एक ऐसा अवसर है जिसका लाभ उठाएं तथा इन्हें भी अच्छी िक्षा का अवसर मिले। इस कार्यक्रम के तहत पूरे जिले में बालक बालिकाओं को निजी विद्यालयों मे नि:ाुल्क िक्षा प्राप्त होगी। भौक्षिक प्रकोश्ठ अधिकारी प्रा0ि0 डॉ. लक्ष्मीनारायण जोाी ने कहा कि इस कानून की सहायता से असुविधाग्रस्त एवं आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग के बालक बालिकाओं को भी निजी विद्यालयों में पने का अवसर मिलेगा।
इनको मिला प्रवो
नि:ाुल्क एवं अनिवार्य िक्षा का अधिकार अधिनियम सोमवार को बीपीएल के उन दस गरीब परिवारों के बच्चों के लिए बेहद खुाियां लेकर आया जब उन्हें जिला मुख्यालय के निजी विद्यालय में नि:ाुल्क प्रवो मिला। जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने खुद इन बच्चों को विद्यालय में प्रवो दिलाया।
नि:ाुल्क एवं अनिवार्य िक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सोमवार को निजी विद्यालय में प्रवो लेने वाले सभी बालक बालिकाएं बीपीएल चयनित परिवार के सदस्य है। सोमवार को सुनीता पुत्र रामसिंह, पूजा पुत्री आम्बसिंह, रवि पुत्र आम्बसिंह, लक्ष्मी पुत्री रीजूराम, दुर्गा पुत्री रीजूराम, धीरज कुमार पुत्र बींजाराम, विक्रम पुत्र चेतनराम, जीतू पुत्र टीकमाराम, रिडमल पुत्र टीकमाराम, पंखा पुत्री चेतनराम को तिलक लगाकर प्रथम में प्रवो दिया गया। इस मौके पर परिजनों ने कहा कि आज यह कानून आया तो हमारे बच्चों को भी ऐसी बयि स्कूलों में पाने का मौका मिला। हम बच्चों को रोजाना पने भेजेंगे।

Sunday, June 19, 2011


सरहद पर घुसपैठ का मामला 
दरगाह शरीफ की जियारत करने आया था पाकिस्तानी 
सुरक्षा एंजेसियों को घुसपैठिए के बांग्लादोश  होने का संदेह, एक साथी फरार 


बाड़मेर।  सीमावर्ती बाड़मेर जिले में रविवार को पकड़े गए पाकिस्तानी नूर आलम ने सुरक्षा एंजेसियों की पुछताछ के दौरान दो महीने पहले पंजाब के गुरूदासपुर जिले के पास से भारतीय सीमा में प्रवो करने की बात कबुली है। नूर आलम ने बताया कि उसके साथ उसका एक और साथी जफर भी सीमा पार से घुसपैठ कर इसके साथ आया। भारत आने के पीछे इनका मकसद दरगाह शरीफ की जियारत करना था।

जहां पुछताछ में नूर आलम खुद को पाकिस्तान के कराची का रहने वाला बता रहा है, वहीं सुरक्षा एंजेसियों को पाकिस्तानी होने के बजाय बांग्लोदोी होने का भाक है। सीमा सुरक्षा बल के डीआईजी विजय साखरे ने बताया कि रविवार को पकड़ा गया घुसैपेठिया खुद को कराची निवासी नूर आलम बता रहा है, लेकिन उसकी भाशा और तौर तरीकों से उसके बांग्लादोी होने का संदेह है।

साखरे ने बताया कि रविवार को सीमा सुरक्षा बल द्वारा पकड़े गए घुसपैठिए ने पुछताछ के दौरान दो महीने पहले पंजाब के गुरूदासपुर जिले के पास से भारतीय सीमा में प्रवो करने की बात कबुली। सरहद पार से पंजाब आने के बाद नूर आलम अपने साथी जफर के साथ अजमेर आ गया और पिछले दो महीन से अजमेर में ही रह रहा था। नूर आलम ने पुछताछ में बताया कि उसका साथी जफर पन्द्रह दिन पहले उसे छोड़कर कहीं फरार हो गया। उसके बाद कुछ दिन पहले वो भी पंजाब गया था, लेकिन वहां से पाकिस्तान लौटने का रास्ता भूल गया, ऐसे में वापिस अजमेर लौट आया।

नूर आलम नें बताया कि अजमेर में किसी बंगाली युवक ने उसे मुनाबाव के रास्ते थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान जाने की सलाह दी। ऐसे में वो बस में बैठकर अजमेर से रवाना होकर बाड़मेर तक पहुंचा। बताया गया कि रविवार दिन में वो सुरक्षा एंजेसियों के हाथ भी लगा था, लेकिन खुद को पिचम बंगाल का रहने वाला बताकर जैसेतैसे बच निकला। सुरक्षा एंजेसियों ने नूर आलम को वापिस बाड़मेर भी रवाना कर दिया था, लेकिन नूर आलम बाड़मेर जाने के दौरान रास्ते में गागरिया के पास उतर गया और वापिस गडरा पहुंच गया, जहां देर भाम सीमा सुरक्षा बल ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुछताछ के दौरान नूर आलम के पास मात्र 60 रूपए बरामद किए गए है।

सीमा सुरक्षा बल के डीआईजी विजय साखरे ने बताया कि नूर आलम की बातों को पुख्ता और प्रमाणिक नहीं माना जा सकता। सुरक्षा एंजेसिया उससे पुछताछ में जुटी और पुछताछ पूरी होने के बाद उसे पुलिस के सुपूर्द कर दिया जाएगा।

गिरल के बॉयलर में भड़की आग 
आग की चपेट में आने से दो कार्मिक हुए घायल
बॉयलर भट्टी का ़क्कन खोलेते समय हुआ हादसा
बाड़मेर। 
जिले के गिरल लिग्लाईट पॉवर प्लांट में रविवार को दोपहर अचानक आग भड़क जाने से उसकी चपेट में दो कार्मिक आ गए जिसके कारण दोनो गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया हैं जहां उनका उपचार चल रहा हैं।
जानकारी के मुताबिक गिरल लिग्नाईट पॉवर प्लांट में रविवार को दोपहर करीब 2 बजे बॉयलर का ठक्कन खोलने के दौरान अचानक आग लग गई जिसके कारण उसमें रखा कोयला वहां काम कर रहे कार्मिको पर गिर गया। इसके कारण प्रदीप कुमार उम्र 24 वर्ष पुत्र दुलाल सरकार गांव बहीरण बहियार, झारखण्ड एवं फूलचंद ईशर उम्र 22 वर्ष पुत्र प्रभु ईशर गांव बगबींधा झारखण्ड जल गए। इस घटना की जानकारी मिलने ही कंपनी के मैनेरज कृष्ण कुमार, फोरमैन गिरेणीप्रसाद एवं स्थानीय श्रमिक संघ से जुड़े हरिराम कड़वासरा ने पहुंचकर घायलों को राजकीय अस्पताल पहुंचाया जहां पर उनका उपचार चल रहा हैं। सूचना मिलने पर सदर पुलिस भी मौके पर पहुंची और उन्होंने मौका मुआयना किया। समाचार लिखे जाने तक इस संबंध में पुलिस थाने में किसी तरह का कोई प्रकरण दर्ज नहीं हुआ था।

जहरी पानी पीने का मजूबर बाड़मेर के लोग 
मुकेश मथराणी, बाड़मेर। 
जिले के लोग पिछले कई सालों से लगातार जहर जैसा पानी पीने को मजबूर हैं। यह उनके शरीर को खोखला करता जा रहा है। ऐसा भूगर्भीय जल में हानिकारक केमिकल्स की बेतहाशा ब़ती जा रही मात्रा के कारण हो रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष लोगों को सप्लाई किए जाने वाले पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 पीपीएम थी, जो इस वर्ष ब़कर 2.5 से 3 पीपीएम तक जा पहुंची है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंड से बाड़मेर में लोगों को पीने के लिए मिल रहे पानी की तुलना करने पर भयावह स्थिति सामने आती है। बाड़मेर सहित बालोतरा, पचपदरा, चौहटन, शिव, गुड़ामालानी, सिवाना, बायतु आदि क्षेत्रों के पानी की जिला मुख्यालय पर बनी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की प्रयोगशाला में समयसमय पर जांच की गई। इसमें पाया गया कि पानी में फ्लोराइड, क्लोराइड, नाइट्रेट व टीडीएस की मात्रा ब़ती जा रही है।
इसलिए पैदा हुए हालात 
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पानी में तेजी से ब़ती जा रही केमिकल्स की मात्रा का कारण भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन है। क्षेत्र में बारिश काफी कम होती है इसलिए पानी का पुनर्भरण इस तेजी से नहीं हो पा रहा है।
नहरी पानी से मिलेगी निजात 
बाड़मेर शहर में जलापूर्ति के लिए भाड़खा के नलकूपों से महावीर नगर, लक्ष्मी नगर व शास्त्री नगर में बनी टंकियों में पानी आता है।इनसे पानी की आगे सप्लाई की जाती है। बाड़मेर लिफ्ट केनाल, पोकरणफलसूंड उम्मेद सागरधवा-समदड़ी- बालोतरासिवाना परियोजना, गडरा नहर, नर्मदा नहर आदि पेयजल परियोजनाओं का काम चल रहा है। इनका मीठा पानी आने पर ही लोगों को समस्या से निजात मिल सकेगी।